सोमवार, 17 जुलाई 2017
कम्प्यूटर पर भारतीय भाषाओं का प्रयोग(यूनिकोड)
एक ज़माना था जब कम्प्यूटर तक मात्र गिने चुने लोगों की ही पहुंच होती थी | कम लोगों की पहुँच होने के कारण इसे अन्य लोगों में हौवा के रूप में भी देखा जाता था | बदलते समय के साथ कम्प्यूटर में ढेरों परिवर्तन आये साथ ही लोगों की कम्प्यूटर में पहुँच भी बढ़ी | पहले अंग्रेजी में ही काम करने की सुविधा थी पर अब धीरे-धीरे भारतीय भाषाओँ में भी कम्प्यूटर पर काम करने की सुविधा शुरू हो गयी | पर आज भी एक बड़ा तबका है जिनके लिए यह एक प्रकार से हौवा ही बना हुआ है जिसका लाभ उठाकर कई लोग अनापशनाप पैसे एवं श्रम खर्च करते हैं, कुछ विशेष ज्ञान अर्जित न हो पाने के कारण बीच में ही अपना प्रयास बंद कर देते हैं | आज हम कुछ ऐसे ही भ्रांतियों पर चर्चा करेंगे जिसमें मुख्य बिंदु कम्प्यूटर पर हिंदी सहित अन्य भारतीय भाषाओँ में काम करने के बारे में चर्चा की जाएगी |
यूनिकोड(Unicode)-इस क्रम में सबसे पहला हौवा है| अधिकांश लोग जिन्हे कम्प्यूटर पर हिंदी में काम करना पड़ता है उनके मुख से यह सुनने में आता है कि मेरे कम्प्यूटर में यूनिकोड नहीं है, कैसे हिंदी में काम किया जाएगा | यूनिकोड की शाब्दिक विवेचन यदि हम करें तो यह पाते हैं कि यह और कुछ नहीं बल्कि यूनिवर्सल कोड है जिसे यूनिकोड का नाम दिया गया है | कम्प्यूटर की कार्यप्रणाली को यदि हम देखें तो पाते है कि कम्प्यूटर बाइनरी सिस्टम में काम करता है | बाइनरी सिस्टम का अर्थ है कम्प्यूटर के जितने भी कमांड हैं वे सब 0(जीरो) और 1(वन) पर आधारित होते हैं | कम्प्यूटर इस जीरो और वन के अतिरिक्त कुछ भी नहीं समझता |
अब प्रश्न यह आता है कि यदि हमारा कम्प्यूटर जीरो और वन के अतिरिक्त कुछ भी नहीं समझता तो इतनी सारी चीजें कैसे करता है? कम्प्यूटर पर विभिन्न कार्य या आकृति के लिए इन्हीं जीरो और वन को विभिन्न कोड के रूप में चिन्हित किया जाता है | इन कोड़ों के सहारे कम्प्यूटर स्क्रीन पर हम मनचाही विभिन्न चीजें बना सकते हैं या लिख सकते हैं | कम्प्यूटर के की बोर्ड में जितने भी की हैं उनके लिए एक निश्चित कोड निर्धारित है | इन्ही से अक्षर या आकृति बनती है | प्रारम्भ में जब कम्प्यूटर का प्रादुर्भाव हुआ, उस समय कम्प्यूटर के लिए विभिन्न भाषा(Language) बना | एक कम्प्यूटर में प्रयुक्त होने वाली भाषा(सॉफ्टवेयर) यदि दूसरे कम्प्यूटर में नहीं है तो इनके बीच साझा की गयी सामग्री जंक या गार्बेज रूप में प्रदर्शित होगी | यदि आपको यह सामग्री देखनी है तो आपको उस कम्प्यूटर के सॉफ्टवेयर को अपने कम्प्यूटर में डालना होगा तभी आप सामग्री को देख या पढ़ पाएंगे | इस समस्या से निजात पाने के लिए विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों ने एक बैठक किया तथा यह प्रस्ताव पारित किया कि अब से जो भी सॉफ्टवेयर बने उसे ऐसा बनाया जाए कि उससे प्रोसेस की गयी सामग्री को पूरे विश्व के कम्प्यूटरों में देखने या पढ़ने में असुविधा न हो | इस बैठक के फलस्वरूप यूनिवर्सल कोडेड कैरेक्टर सेट(UCS) स्टैण्डर्ड का गठन हुआ | आज की तारीख में इसमें 136,755 कैरेक्टर हैं तथा 139 मॉडर्न एवं ऐतिहासिक भाषाएं शामिल हैं | सन 1987 में इस प्रक्रिया की शुरुवात हुई |
चूँकि भारत की राजभाषा हिंदी होने के कारण कुछ सरकारी दबाव तथा जनता की माँग पर कम्प्यूटर पर हिंदी प्रयोग के लिए विभिन्न संस्थाओं ने प्रयास प्रारम्भ किया | इस प्रयास के फलस्वरूप कई प्रकार के सॉफ्टवेयरों का विकास हुआ | जैसे कि लीप ऑफिस, योगेश इत्यादि | इन सॉफ्टवेयरों के निर्माण से हिंदी में काम करने की सुविधा कुछ-कुछ प्रारम्भ हो गयी | पर बात जस की तस रही | जिन कम्प्यूटरों में ये सॉटवेयर इंस्टाल होंगे उनमें ही इन्हे देखा और खोला जा सकता है | अन्य कम्प्यूटरों में यह गार्बेज बन जाते हैं | इन सॉटवेयरों को हम फॉण्ट भी कह सकते हैं | ऐसे फॉण्ट जो सिमित क्षेत्र या मात्र उसी कम्प्यूटर में काम करेंगे जिनमें ये इंस्टाल हों | इन्हे ट्रू टाइप फॉण्ट कहा जाता है | ऐसे फॉण्ट में कृति देव, सुशा, योगेश, चाणक्य इत्यादि आते हैं | इन फॉण्ट से काम तो चल जाता है पर एक ऐसे प्रणाली की आवश्यकता थी जो यूनिकोड के नियमों पर आधारित हो | अर्थात पूरे विश्व में बेरोकटोक खुल सके | इस प्रकार के फॉण्ट को ओपन टाइप फॉण्ट कहा गया | इन समस्यों के निजात के लिए भारत सरकार और कुछ संस्थाओं ने मिलकर भारतीय भाषाओँ के यूनिकोड स्वरुप का विकास किया | भारत एक विशाल देश है जिसमें विभिन्न प्रकार की भाषाएं प्रयोग की जाती हैं | सबसे कठिन कार्य था इन समस्त भाषाओँ के लिए किसी एक की बोर्ड का विकास करना जिससे एक ही की से समस्त भारतीय भाषाओँ के अक्षर टाइप किया जा सके | इस प्रयास में इन्स्क्रिप्ट की बोर्ड का विकास हुआ | एक ही की बोर्ड से भारत की 22 भाषाओँ में टंकण का कार्य किया जा सकता है | इसे भारत सरकार द्वारा पेटेंट करवाकर सबके लिए मुफ्त में प्रयोग के लिए दे दिया है | अब जब भी आप कम्प्यूटर खरीदते हैं उनमें यह की बोर्ड इनबिल्ट आता है | बस इसे सक्रिय करने की आवश्यकता होती है | आप भारत की जिस भाषा में काम करना चाहें अपने कम्प्यूटर से कर सकते हैं, अलग से कोई सॉफ्टवेयर डालने की आवश्यकता नहीं होगी |
अब हिंदी टंकण की विधि और प्रक्रिया के बारे में निम्नलिखित कुछ पंक्तियों में चर्चा की जा रही है |
टंकण के लिए दो प्रकार के तरीके प्रचलित हैं | प्रथम- फोनेटिक तथा द्वितीय- इन्स्क्रिप्ट या रेमिंग्टन/गोदरेज जैसा की बोर्ड |
इन्स्क्रिप्ट या रेमिंग्टन/गोदरेज जैसा की बोर्ड – पूर्व में जब कम्प्यूटर का प्रचार नहीं था उन दिनों हिंदी टंकण के लिए टाइपराइटर का प्रयोग होता था | इन टाइपराइटरों पर विभिन्न क्रम में हिंदी के 'की(Key)' होते थे | इनके प्रयोग के लिए प्रशिक्षण आवश्यक है | आगे चलकर कम्प्यूटर के अंग्रेजी की बोर्ड के साथ इस टाइपराइटर के की बोर्ड को मिला दिया गया तथा कम्प्यूटर में हिंदी टंकण की सुविधा आरम्भ हो गयी | चूँकि यह प्रणाली कुछ कठिन सी है तथा बिना पूर्व प्रशिक्षण के इसपर कार्य कर पाना भी कठिन है अतः ज्यादातर लोगों में इसका प्रचलन कम ही हुआ |
इस समस्या से निजात पाने के लिए गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों ने फोनेटिक टंकण की सुविधा का प्रसार करना प्रारम्भ किया | इसके लिए आपको अपने कम्प्यूटर में एक सॉफ्टवेयर डाउनलोड कर इंसटाल करना होगा (google ime या microsoft Indic Input tool)| इन सॉफ्टवेयरों की मदद से आप रोमन हिंदी का प्रयोग कर हिंदी टंकण की सुविधा ले सकते हैं |जिस प्रकार से एसएमएस की भाषा में रोमन हिंदी लिखने के हम अभ्यस्त हैं, यह प्रणाली काफी कारगर साबित हुई तथा आज की तारीख में कम्प्यूटर से लेकर मोबाईल तक हर मशीन में हिंदी टंकण के लिए लोग फोनेटिक की बोर्ड का प्रयोग करने लगे हैं | इसमें यदि आपको राम लिखना हो तो आप Ram लिखकर स्पेस बार दबा दें | आपकी शब्द हिंदी या मनचाही भारतीय भाषा में परिवर्तित हो जाएगी | इस प्रक्रिया को ट्रांसलिटेरेशन भी कहा जाता है | अर्थात जो भी अंग्रेजी में लिखें वह अन्य भाषा में परिवर्तित हो जाएगा |
अब तो इस तकनीकी में और भी विकास हुआ है तथा बोलकर लिखने की सुविधा आपके कम्प्यूटर एवं मोबाइल में आ गयी है | आप भाषा का चयन कर लीजिये तथा बोलते जाइये, आपका कम्प्यूटर या मोबाईल आपकी मनचाही भाषा में टंकण करता चला जाएगा | बाद में आवश्यकतानुसार आप इसमें शुद्धिकरण भी कर सकते हैं | गूगल डॉक्स में यह सुविधा उपलब्ध है जो ऑनलाइन है |इसके अतिरिक्त आप गूगल ट्रल्सलेट एप में भी बोलकर टाइप कर सकते हैं, आवश्यकतानुसार आप लिखे गए वाक्यांश को कॉपी कर मनचाही जगह पर पेस्ट कर अपना काम चला सकते हैं | जहांतक मोबाइल का प्रश्न है, एनरोइड मोबाइल में ऑनलाइन एवं ऑफलाइन दोनों प्रणालियों में यह सुविधा उपलब्ध है | मोबाईल में इस सुविधा को सक्रिय करने के लिए आपको 15 एमबी के एक सॉफ्टवेयर को डाउनलोड करना पडेगा | मोबाईल में इस सुविधा को सक्रिय करने के लिए आप सेटिंग में जाएँ फिर Language & Input में जाएँ | वहां google Voice Typing ऑप्शन आएगा उसे क्लिक करें | अगला ऑप्शन offline Speech Recognition ऑप्शन में manage Downloaded Languages. ऑप्शन पर जाएँ तथा वहां अपनी मनचाही भाषा डाउनलोड कर लें(हो सकता है कुछ मोबाईल में इस प्रक्रिया में कोई फेर बदल हो, पर अमूमन हर सेट में यही प्रक्रिया होती है) | बस आप ऑफलाइन भी अपने मोबाईल में टाइप कर सकते हैं |
इस प्रक्रिया से आप अपनों से अपनी भाषा में जुड़ें एवं संपर्क करें, भारतीय भाषाओं को विलुप्त होने से तभी रोका जा सकता है जब इसके वाहक इसका अधिक से अधिक प्रयोग करें | आइये कम्प्यूटर एवं मोबाइल में हम हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाओँ को अधिक से अधिक अपनाएं एवं इनका प्रचार-प्रसार करें |
यूनिकोड(Unicode)-इस क्रम में सबसे पहला हौवा है| अधिकांश लोग जिन्हे कम्प्यूटर पर हिंदी में काम करना पड़ता है उनके मुख से यह सुनने में आता है कि मेरे कम्प्यूटर में यूनिकोड नहीं है, कैसे हिंदी में काम किया जाएगा | यूनिकोड की शाब्दिक विवेचन यदि हम करें तो यह पाते हैं कि यह और कुछ नहीं बल्कि यूनिवर्सल कोड है जिसे यूनिकोड का नाम दिया गया है | कम्प्यूटर की कार्यप्रणाली को यदि हम देखें तो पाते है कि कम्प्यूटर बाइनरी सिस्टम में काम करता है | बाइनरी सिस्टम का अर्थ है कम्प्यूटर के जितने भी कमांड हैं वे सब 0(जीरो) और 1(वन) पर आधारित होते हैं | कम्प्यूटर इस जीरो और वन के अतिरिक्त कुछ भी नहीं समझता |
अब प्रश्न यह आता है कि यदि हमारा कम्प्यूटर जीरो और वन के अतिरिक्त कुछ भी नहीं समझता तो इतनी सारी चीजें कैसे करता है? कम्प्यूटर पर विभिन्न कार्य या आकृति के लिए इन्हीं जीरो और वन को विभिन्न कोड के रूप में चिन्हित किया जाता है | इन कोड़ों के सहारे कम्प्यूटर स्क्रीन पर हम मनचाही विभिन्न चीजें बना सकते हैं या लिख सकते हैं | कम्प्यूटर के की बोर्ड में जितने भी की हैं उनके लिए एक निश्चित कोड निर्धारित है | इन्ही से अक्षर या आकृति बनती है | प्रारम्भ में जब कम्प्यूटर का प्रादुर्भाव हुआ, उस समय कम्प्यूटर के लिए विभिन्न भाषा(Language) बना | एक कम्प्यूटर में प्रयुक्त होने वाली भाषा(सॉफ्टवेयर) यदि दूसरे कम्प्यूटर में नहीं है तो इनके बीच साझा की गयी सामग्री जंक या गार्बेज रूप में प्रदर्शित होगी | यदि आपको यह सामग्री देखनी है तो आपको उस कम्प्यूटर के सॉफ्टवेयर को अपने कम्प्यूटर में डालना होगा तभी आप सामग्री को देख या पढ़ पाएंगे | इस समस्या से निजात पाने के लिए विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों ने एक बैठक किया तथा यह प्रस्ताव पारित किया कि अब से जो भी सॉफ्टवेयर बने उसे ऐसा बनाया जाए कि उससे प्रोसेस की गयी सामग्री को पूरे विश्व के कम्प्यूटरों में देखने या पढ़ने में असुविधा न हो | इस बैठक के फलस्वरूप यूनिवर्सल कोडेड कैरेक्टर सेट(UCS) स्टैण्डर्ड का गठन हुआ | आज की तारीख में इसमें 136,755 कैरेक्टर हैं तथा 139 मॉडर्न एवं ऐतिहासिक भाषाएं शामिल हैं | सन 1987 में इस प्रक्रिया की शुरुवात हुई |
चूँकि भारत की राजभाषा हिंदी होने के कारण कुछ सरकारी दबाव तथा जनता की माँग पर कम्प्यूटर पर हिंदी प्रयोग के लिए विभिन्न संस्थाओं ने प्रयास प्रारम्भ किया | इस प्रयास के फलस्वरूप कई प्रकार के सॉफ्टवेयरों का विकास हुआ | जैसे कि लीप ऑफिस, योगेश इत्यादि | इन सॉफ्टवेयरों के निर्माण से हिंदी में काम करने की सुविधा कुछ-कुछ प्रारम्भ हो गयी | पर बात जस की तस रही | जिन कम्प्यूटरों में ये सॉटवेयर इंस्टाल होंगे उनमें ही इन्हे देखा और खोला जा सकता है | अन्य कम्प्यूटरों में यह गार्बेज बन जाते हैं | इन सॉटवेयरों को हम फॉण्ट भी कह सकते हैं | ऐसे फॉण्ट जो सिमित क्षेत्र या मात्र उसी कम्प्यूटर में काम करेंगे जिनमें ये इंस्टाल हों | इन्हे ट्रू टाइप फॉण्ट कहा जाता है | ऐसे फॉण्ट में कृति देव, सुशा, योगेश, चाणक्य इत्यादि आते हैं | इन फॉण्ट से काम तो चल जाता है पर एक ऐसे प्रणाली की आवश्यकता थी जो यूनिकोड के नियमों पर आधारित हो | अर्थात पूरे विश्व में बेरोकटोक खुल सके | इस प्रकार के फॉण्ट को ओपन टाइप फॉण्ट कहा गया | इन समस्यों के निजात के लिए भारत सरकार और कुछ संस्थाओं ने मिलकर भारतीय भाषाओँ के यूनिकोड स्वरुप का विकास किया | भारत एक विशाल देश है जिसमें विभिन्न प्रकार की भाषाएं प्रयोग की जाती हैं | सबसे कठिन कार्य था इन समस्त भाषाओँ के लिए किसी एक की बोर्ड का विकास करना जिससे एक ही की से समस्त भारतीय भाषाओँ के अक्षर टाइप किया जा सके | इस प्रयास में इन्स्क्रिप्ट की बोर्ड का विकास हुआ | एक ही की बोर्ड से भारत की 22 भाषाओँ में टंकण का कार्य किया जा सकता है | इसे भारत सरकार द्वारा पेटेंट करवाकर सबके लिए मुफ्त में प्रयोग के लिए दे दिया है | अब जब भी आप कम्प्यूटर खरीदते हैं उनमें यह की बोर्ड इनबिल्ट आता है | बस इसे सक्रिय करने की आवश्यकता होती है | आप भारत की जिस भाषा में काम करना चाहें अपने कम्प्यूटर से कर सकते हैं, अलग से कोई सॉफ्टवेयर डालने की आवश्यकता नहीं होगी |
अब हिंदी टंकण की विधि और प्रक्रिया के बारे में निम्नलिखित कुछ पंक्तियों में चर्चा की जा रही है |
टंकण के लिए दो प्रकार के तरीके प्रचलित हैं | प्रथम- फोनेटिक तथा द्वितीय- इन्स्क्रिप्ट या रेमिंग्टन/गोदरेज जैसा की बोर्ड |
इन्स्क्रिप्ट या रेमिंग्टन/गोदरेज जैसा की बोर्ड – पूर्व में जब कम्प्यूटर का प्रचार नहीं था उन दिनों हिंदी टंकण के लिए टाइपराइटर का प्रयोग होता था | इन टाइपराइटरों पर विभिन्न क्रम में हिंदी के 'की(Key)' होते थे | इनके प्रयोग के लिए प्रशिक्षण आवश्यक है | आगे चलकर कम्प्यूटर के अंग्रेजी की बोर्ड के साथ इस टाइपराइटर के की बोर्ड को मिला दिया गया तथा कम्प्यूटर में हिंदी टंकण की सुविधा आरम्भ हो गयी | चूँकि यह प्रणाली कुछ कठिन सी है तथा बिना पूर्व प्रशिक्षण के इसपर कार्य कर पाना भी कठिन है अतः ज्यादातर लोगों में इसका प्रचलन कम ही हुआ |
इस समस्या से निजात पाने के लिए गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों ने फोनेटिक टंकण की सुविधा का प्रसार करना प्रारम्भ किया | इसके लिए आपको अपने कम्प्यूटर में एक सॉफ्टवेयर डाउनलोड कर इंसटाल करना होगा (google ime या microsoft Indic Input tool)| इन सॉफ्टवेयरों की मदद से आप रोमन हिंदी का प्रयोग कर हिंदी टंकण की सुविधा ले सकते हैं |जिस प्रकार से एसएमएस की भाषा में रोमन हिंदी लिखने के हम अभ्यस्त हैं, यह प्रणाली काफी कारगर साबित हुई तथा आज की तारीख में कम्प्यूटर से लेकर मोबाईल तक हर मशीन में हिंदी टंकण के लिए लोग फोनेटिक की बोर्ड का प्रयोग करने लगे हैं | इसमें यदि आपको राम लिखना हो तो आप Ram लिखकर स्पेस बार दबा दें | आपकी शब्द हिंदी या मनचाही भारतीय भाषा में परिवर्तित हो जाएगी | इस प्रक्रिया को ट्रांसलिटेरेशन भी कहा जाता है | अर्थात जो भी अंग्रेजी में लिखें वह अन्य भाषा में परिवर्तित हो जाएगा |
अब तो इस तकनीकी में और भी विकास हुआ है तथा बोलकर लिखने की सुविधा आपके कम्प्यूटर एवं मोबाइल में आ गयी है | आप भाषा का चयन कर लीजिये तथा बोलते जाइये, आपका कम्प्यूटर या मोबाईल आपकी मनचाही भाषा में टंकण करता चला जाएगा | बाद में आवश्यकतानुसार आप इसमें शुद्धिकरण भी कर सकते हैं | गूगल डॉक्स में यह सुविधा उपलब्ध है जो ऑनलाइन है |इसके अतिरिक्त आप गूगल ट्रल्सलेट एप में भी बोलकर टाइप कर सकते हैं, आवश्यकतानुसार आप लिखे गए वाक्यांश को कॉपी कर मनचाही जगह पर पेस्ट कर अपना काम चला सकते हैं | जहांतक मोबाइल का प्रश्न है, एनरोइड मोबाइल में ऑनलाइन एवं ऑफलाइन दोनों प्रणालियों में यह सुविधा उपलब्ध है | मोबाईल में इस सुविधा को सक्रिय करने के लिए आपको 15 एमबी के एक सॉफ्टवेयर को डाउनलोड करना पडेगा | मोबाईल में इस सुविधा को सक्रिय करने के लिए आप सेटिंग में जाएँ फिर Language & Input में जाएँ | वहां google Voice Typing ऑप्शन आएगा उसे क्लिक करें | अगला ऑप्शन offline Speech Recognition ऑप्शन में manage Downloaded Languages. ऑप्शन पर जाएँ तथा वहां अपनी मनचाही भाषा डाउनलोड कर लें(हो सकता है कुछ मोबाईल में इस प्रक्रिया में कोई फेर बदल हो, पर अमूमन हर सेट में यही प्रक्रिया होती है) | बस आप ऑफलाइन भी अपने मोबाईल में टाइप कर सकते हैं |
इस प्रक्रिया से आप अपनों से अपनी भाषा में जुड़ें एवं संपर्क करें, भारतीय भाषाओं को विलुप्त होने से तभी रोका जा सकता है जब इसके वाहक इसका अधिक से अधिक प्रयोग करें | आइये कम्प्यूटर एवं मोबाइल में हम हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाओँ को अधिक से अधिक अपनाएं एवं इनका प्रचार-प्रसार करें |
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