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अनुवादकीय टिप्पणी(नमूना)
अनुवाद परियोजना के अनुवाद के दौरान विभिन्न प्रकार की समस्याएं आईं । इन समस्याओं का निवारण करते हुए विभिन्न अवसरों पर विभिन्न प्रकार की पद्धतियों का प्रयोग किया तथा विभिन्न विधियों का प्रयोग किया ।
परियोजना के दौरान प्रयुक्त पद्धतियां : यूँ तो किसी एक विशेष पद्धति का अनुसरण करते हुए बड़े पाठ का अनुवाद अलगभग असंभव है क्योंकि अनुवाद प्रक्रिया केवल मात्र शब्दों का दूसरी भाषा में अंतरण ही नहीं है वरन भावों का भी अंतरण है । जहाँ भाव की सटीक अभिव्यक्ति करनी हो वहां समस्त पद्धतियों का प्रयोग आवश्यक है । इस परियोजना के अनुवाद के लिए कुछ स्थानों पर मैंने शब्दानुवाद किया है । अर्थात अंग्रेजी/हिंदी शब्दों को लक्ष्य भाषा के अनुरूप शब्दों को रखा ।
कुछ स्थानों पर मैंने भावानुवाद का प्रयोग किया । विशेषरूप से हिंदी से अंग्रेजी के अनुवाद में
मुझे इस पक्ष का प्रयोग करना पड़ा क्योंकि कई स्थानों पर अंगेजी के सटीक शब्दों के
चयन में दिक्कतें महसूस हो रही थी । चूँकि
अनुवादक का तात्पर्य मात्र शब्दानुवाद नहीं है, भाव सम्प्रेषण परमावश्यक
है, अतः मैंने भावानुवाद को विशेष रूप
में प्रयोग किया और इस विधि से अनुवाद प्रक्रिया पूरा किया ।
अंग्रेजी से हिंदी के अनुवाद प्रक्रिया में कई ऐसे शब्द भी आये जिनका सटीक शाब्दिक अर्थ हिंदी में मिलना दुष्कर सा प्रतीत हो रहा था, अतः उन शब्दों को यथारूप मैंने लिप्यन्तरित कर लिखा । हालांकि ऐसे शब्द दो चार ही मैं । यह देखा गया कि जहाँ समस्त उपाय मंद पड़ जाते हों वहां लिप्यंतरण की प्रक्रिया रामवाण साबित होती है ।
कुछ स्थानों पर वाक्य को सटीक रूप में प्रदर्शित करने के लिए कुछ शब्दों को पाठ से इतर लाने की आवश्यकता पड़ी, पर उन शब्दों का प्रयोग मुझे अत्यावश्यक लगा । हालांकि अनुवाद प्रक्रिया में इस प्रकार के प्रयोग को अधिक प्रश्रय नहीं दिया जाता है पर मुझे इस प्रक्रिया को अपनाने के अतिरिक्त कोई अन्य उपाय नजर नहीं आ रहा था ।
अनुवाद कार्य में प्रस्तुत उपकरण : अनुवाद प्रक्रिया पूर्ण करने के लिए विभिन्न प्रकार के उपकरण के प्रयोग की आवश्यकता होती है । बिना किसी सटीक उपकरण के अनुवाद प्रक्रिया सफल नहीं हो सकती । इस परियोजना के दौरान मैंने ऑनलाइन ट्रांसलेशन टूल से भी मदद ली । इन टूल्स में गूगल ट्रांसलेट प्रमुख रहा । कुछ शब्दों के लिए भारत सरकार के अधिकृत तकनीकी शब्दावली आयोग के वेबसाइट की भी मदद ली गई ।
चूँकि इस प्रकार की परियोजना में दिया गया अनुवाद नए अनुवाद
प्रशिक्षु के लिए असंभव नहीं तो कठिनतम तो अवश्य है । इन कठिनाइयों से जूझना आसान बात नहीं है । शब्दों की जटिलता, वाकया विन्यास की सूझ आदि काफी महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसके लिए
कई-कई बार एक ही पंक्ति का अनुवाद करना
पड़ा ।
विभिन्न प्रकार के शब्दकोशों की भी मदद भी लेनी पड़ी । इन शब्दकोशों में ऑक्सफोर्ड प्रेस द्वारा
प्रकाशित शब्दकोष, भार्गवा का शब्दकोष, आगरा से प्रकाशित साहिनी के शब्दकोष की भी
मदद ली गई ।
किसी किसी पाठ के अंत में अधूरे वाक्य हैं जिनके कारण अनुवाद करते समय विशेष जद्दोजह करनी पड़ी । हो सकता है परियोजना कार्य में ऐसा जानबूझकर दिया गया हो ताकि अनुवादक इन कठिनाइयों पर ध्यान देते हुए कार्य करे तथा इस बात का जिक्र अनुवादकीय टिपण्णी में करे । कुछ अंश में विराम चिन्हों का भी अनुपयुक्त प्रयोग देखने में आया है । इन समस्त बाधाओं को ध्यान में रखते हुए मूल पाठ से लक्षत पाठ में अंतरण काफी मुश्किल था, पर अनुवाद पाठ्यक्रम में सीखे गुर के माध्यम से इन समस्याओं का भी निपटान आसानी से किया जा सका ।
अनुवाद के दौरान प्राप्त कठिन शब्दों की सूची इस टिप्पणी के साथ
संलग्न है । उन शब्दों के सही पर्याय
प्राप्त करने के लिए पाठ के साथ उन शब्दों का संबंध स्थापित करना काफी कुछ सीखने
का अवसर देता है ।
This is really helpful sir. We are lucky to have your guidance.
जवाब देंहटाएं_Diwakar