मंगलवार, 19 दिसंबर 2017

अनुवाद में व्याकरण का ज्ञान आवश्यक क्यों ?

अनुवाद के लिये एक समूह में निम्नलिखित पद्यांश दिया गया।

मनुष्य की वास्तविक पूंजी धन नहीं, बल्कि उसके विचार हैं, क्योंकि धन तो खरीदारी में दूसरों के पास चला जाता है, पर विचार अपने पास ही रहते हैं !

इस पद्यांश का विभिन्न लोगों ने भिन्न-भिन्न अनुवाद किया जिसका विवरण निम्नवत है:-
1. the real asset of a man are his thoughts not the money, because the money keeps circulating one hand to another,but the thoughts are our own
2. human's actual finance is not money rather its thoughts, because the money goes to others in shopping but the thoughts stay with you.
3.A person's real asset is not money but his thoughts, because money goes to others in shopping, but the thoughts remain with our self.
4.The real assets of human is not wealth but his/her thoughts, because wealth goes to another at the time of transaction but thoughts remain with him/her.
5. Man's real capital is not wealth but his thoughts, because money goes to others in the shopping but thoughts remain with us.
प्राप्त अनुवाद में से कुछ चयनित अंश को यहां प्रस्तुत किया जा रहा है।
इस अनुवाद में आपलोगों ने देखा कि विभिन्न लोगों ने भिन्न भिन्न अनुवाद किया है।अपने अपने स्तर पर हर अनुवाद मूल पाठ का संदेश देने में सफल हुआ है तथा भाषान्तरण भी ठीक ही कहा जा सकता है।अनुवाद का मूल उद्देश्य है एक भाषा(श्रोत भाषा) के कथ्य को दूसरी भाषा(लक्ष्य भाषा) में प्रस्तुत करना ताकि दूसरी भाषा के लोग पहली भाषा के संदेश को समझ पाएं।जबतक यह उद्देश्य पूरा न हो भाषान्तरण या अनुवाद का लक्ष्य पूरा नहीं होता या कहा जाए कि अनुवाद खराब हो गया है।
अब यदि प्राप्त अनूदित अंश की विवेचना की जाए तो हम पाते हैं कि इनमें से कुछ में व्याकरणिक त्रुटि यानी कि grammatical errors है। अब यदि यह कहें कि भाव संप्रेषण तो सही हुआ है,अब यह व्याकरणिक त्रुटि की बात क्यों?
इस प्रश्न के जवाब में आप स्वयं देखिए कि संरचनागत दृष्टि से यदि वाक्य में त्रुटि है तो वाक्य कैसा लगता है।
यहां यह स्पष्ट होता है कि वाक्य संरचना के लिये शब्दकोश के साथ ही व्याकरण का ज्ञान भी आवश्यक है। और बिना व्याकरण के ज्ञान के अनुवाद एम सफल अनुवाद नहीं हो डाक्ट है।
इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिये यह भी कहा जाता है कि अनुवादक दोनों भाषाओं पर अपनी पकड़ मजबूत करने का प्रयास करे।जैसे हिंदी व्याकरण में पर्यायवाची शब्द की जानकारी आवश्यक है वैसे ही अंग्रेजी के शब्दों का संदर्भ विशेष के अनुरूप ही चयन किया जाना अपेक्षित है ताकि सही संदेश बन सके।