शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2016

पतंग - बानी शुक्ल

आशा की उड़ान
एक अनकही पहचान,
न डर , न खौफ
बस स्वछंद उड़ान ।
हर कोने की सैर ,
इस आसमान से उस आसमान तक ,
चिड़ियों से बाते ,
क्षितिज से मुलाकातें ,
कभी इस छोर , कभी उस छोर ।
इस तंग जहां से ,
आसमां की ओर ।
कभी हवा का झोंका ,
तो कभी बादलों ने रोका ,
बस उड़ना ही जाने ,
और उड़ने के बहाने .........  


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