यह एक सुनियोजित सैन्य कारवाई होती है जिसका उद्येश्य अतिरिक्त
क्षतिपूर्ति से बचते हुए एक निश्चित लक्ष्य पर हमला कर उसे नेस्तनाबूद
करना होता है। यादि विस्तारित रूप से देखें तो पाएंगे कि युद्ध
कौशल का यह ऐसा रूप है जिसमें बिना किसी पूर्व सूचना या जानकारी के एक राष्ट्र के सैनिक दूसरे राष्ट्र में सैनिक कार्रवाई को अंजाम दे आते हैं |
युद्ध कला के क्षेत्र में इस नए शब्द का सृजन संभवतया अमेरिका द्वारा
ओसामा बिन लादेन के खात्मे के दौरान किये गए सैनिक कार्रवाई के दौरान हुआ। चलिए सबसे पहले हम सर्जिकल स्ट्राइक का शाब्दिक या भावार्थ समझ लें |
शल्य चिकित्सा के दौरान चिकित्सक मरीज के शरीर के प्रभावित अंग को या तो चीर कर या काटकर अनावश्यक या खराब तंतु को काटकर निकाल देता है तथा शरीर के उसी हिस्से में स्थित अन्य तंतुओं को किसी प्रकार की क्षति नहीं
पहुँचती है | इसी सूत्र को लेकर सैन्य कार्रवाई को सर्जिकल स्ट्राइक का
नाम दिया गया | इसे यदि कुछ और परिस्कृत करें तो हम पाएंगे कि इस प्रकार
की युद्ध शैली छापामार युद्ध या गोरिल्ला वारफेयर का ही एक रूप है। गुरिल्ला वारफेयर या छापामार युद्ध कौशल भी एक प्रकार का युद्ध कौशल है जिसमें हमलावर ऐसे समय में हमला करता है जब लक्ष्य असावधान | सबसे पहला
छापामार युद्ध 360 वर्ष ईसवी पूर्व चीन में सम्राट् हुआंग से अपने शत्रु
सी याओ (Tse yao) के विरुद्ध लड़ा था। इसमें सी याओ (Tse yao) हार गया। इंग्लैड के इतिहास में भी छापामार युद्ध का वर्णन मिलता है। केरेक्टकर
(Caractacur) ने दक्षिणी वेल्स के गढ़ से छापामार युद्ध में रोमन सेना को
परेशान किया था। भारत में छापामार युद्ध का सर्वप्रथम प्रयोग महाराणा
प्रताप ने अकबर के विरूद्ध किया था। बाद में उनसे प्रेरित होकर छत्रपति
शिवाजी महाराज ने मलेंछो के खिलाफ इसका प्रयोग किया।मराठो के इन छापामार युद्धों ने शक्तिशाली मुगल सेना का आत्मविश्वास नष्ट कर दिया। शंताजी घोरपड़े और धनाजी जाधव नाम के सरदारों ने अपने भ्रमणशाली दस्तों को इसमे महारत हासिल थी। जब मुगल सेना आक्रमण की आशा नहीं करती थी, उस समय आक्रमण करके उन्होंने प्रमुख मुगल सरदारों को विस्मित और पराजित किया। मराठों की सफल छापामार युद्धनीति ने मुगल सेना के साधनों को ध्वस्त कर दिया और उनके अनुशासन और उत्साह को ऐसा नष्ट कर दिया कि सन् 1706 ई. में औरंगजेब को अपनी उत्तम सेना को अहमदनगर वापस बुलाना पड़ा। छापामार मराठे अपने घोडो पर सवार होकर
चारों ओर फैल जाते, प्रदाय रोक लेते, अंगरक्षकों के कार्य में बाधा डालते
और ऐसे स्थान पर पहुँचकर, जहाँ उनके पहुँचने की सबसे कम आशा होती, हमला देते। इस युद्धनीति ने मुगलों की कमर तोड़ दी, उनके साधनों को नष्ट कर दिया इनकी फुर्ती के कारण मुगल सेना इनको पकड़ न सकी। इसी लिए स्पेन के छापामारों ने प्रायद्वीपीय युद्ध में और रूस के अनियमित सैनिकों ने मास्को के युद्ध में नैपोलियन की नाक में,दम कर दिया। अमरीकी क्रांति में कर्नल जान एस. मोसली इत्यादि प्रमुख छापामार थे। इस क्रांति में छापामार युद्धों ने एक नई दिशा ली। अब तक युद्ध राज्यों द्वारा लड़े जाते थे। किंतु अब यह राष्ट्रीय विषय बन गया और नागरिक भी व्यक्तिगत रूप से इसमें सम्मिलित हो गए।
समय के साथ ही युद्धकौशल में भी परिवर्तन होता जा रहा है | किसी जमाने
में तीर- कमान से होने वाले युद्ध आज अंतरिक्ष युद्ध के रूप में बदलते जा
रहे हैं | अब जब साजो-सामान,अस्त्र- शस्त्र आदि बदल रहे हैं तो युद्ध
शैली का बदलना स्वाभाविक है |
सर्जिकल स्ट्राइक का प्रारूप :- किसी भी युद्ध में युद्धस्थल में जाने के
पूर्व कई प्रकार से तैयारी करनी आवश्यक होती है | इन तैयारियों में सबसे
पहली तैयारी होती है संभावित लक्ष्य की गतिविधियों सहित उसके बारे में
सम्पूर्ण ताजातरीन जानकारी रखना | दूसरे और सबसे महत्वपूर्ण तैयारी का
हिस्सा है सही दल का चयन | लक्ष्य की शक्ति एवं कमजोरियों का आंकलन
करते हुए उसे धराशायी करने के लिए समुचित संख्या में तथा सर्वथा उपयुक्त
दल का चयन अत्यावश्यक है | इस प्रकार के अभियान में शामिल होने वाले
लोगों को इस हद तक प्रेरित किया जाता है कि वे अपने लक्ष्य के निर्मूलन
के अतिरिक्त अन्य बातों की और ध्यान न दें | तीसरा है उस चयनित दल को
सही प्रशिक्षण देना |चौथा तथा सबसे महत्वपूर्ण है अभियान की गुप्त रूप से तैयारी,अभियान को गुप्त रखना और हर गतिविधि में दल के सदस्यों के बीच सही तालमेल और फिर समयबद्धता | इन समस्त तैयारियों के पश्चात अभियान की सफलता के बाद नियत समय में पूरे सदस्यों के साथ सही सलामत अपने क्षेत्र में वापस आना बहुत बड़ी जिमेदारी होती है |
सर्जिकल स्ट्राइक का क्षेत्र : सर्जिकल स्ट्राइक हमेशा ऐसे स्थानों पर की
जाती है जहाँ व्यावहारिक या वैधानिक अड़चनों के कारण सीधे सैन्य कार्रवाई
करने में अड़चन हो | अमूमन ऐसी स्थिति तब आती है जब एक देश का भगोड़ा
आतंकवादी किसी दूसरे देश की सीमा में या उसके संरक्षण में रह रहा हो |
जैसे ओसामा बिन लादेन आदि जैसे लोग किसी अन्य देश की सीमा में थे जहाँ
सीधे सैनिक कार्रवाई से संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा बनाये नियमों का
उल्लंघन होता तथा इसमें अधिक जन , बल और धन खर्च होता | और फिर अभियान गुप्त न रह पाता तथा लक्ष्य को और भी सुरक्षित स्थान में छिप जाने का भय बना रहता है | चाहे इजराइल हो, अमेरिका, रूस या भारत, हर देश अपने घर के दुश्मनों को जड़ से मिटाने के लिए इस प्रकार के अभियानों के लिए अलग से ही उपाय किये रहते हैं |
सर्जिकल स्ट्राइक के खतरे : ऐसा नहीं है कि सर्जिकल स्ट्राइक से केवल
लक्ष्य को ही ख़तरा रहता है | सर्जिकल स्ट्राइक करने वाले देश पर भी ख़तरा
रहता है | सबसे बड़ा ख़तरा तो यही होता है कि अभियान दल का कोई सदस्य यदि किसी वजह से उस देश से वापस न आ सका तो यह एक अंतर्राष्ट्रीय नियमों के उल्लंघन का मुद्दा बन सकता है जिसके कारण युद्ध,संयुक्त राष्ट्र संघ के सख्त नियमों का कोपभाजन बनने का खतरा रहता है |
सबकुछ होते हुए भी, सर्जिकल स्ट्राइक एकमात्र ऐसा उपाय है जिसके प्रयोग
से दुसरे देश में छुपा हुआ दुश्मन या आतंकवादी ख़त्म करने की परम्परा
राष्ट्रहित में एक अच्छी चलन है और इस प्रकार के चलन का हर देशभक्त
नागरिक स्वागत ही करेगा |
(इस आलेख का कुछ अंश विकिपीडिया से भी लिया गया है)
करना होता है। यादि विस्तारित रूप से देखें तो पाएंगे कि युद्ध
कौशल का यह ऐसा रूप है जिसमें बिना किसी पूर्व सूचना या जानकारी के एक राष्ट्र के सैनिक दूसरे राष्ट्र में सैनिक कार्रवाई को अंजाम दे आते हैं |
युद्ध कला के क्षेत्र में इस नए शब्द का सृजन संभवतया अमेरिका द्वारा
ओसामा बिन लादेन के खात्मे के दौरान किये गए सैनिक कार्रवाई के दौरान हुआ। चलिए सबसे पहले हम सर्जिकल स्ट्राइक का शाब्दिक या भावार्थ समझ लें |
शल्य चिकित्सा के दौरान चिकित्सक मरीज के शरीर के प्रभावित अंग को या तो चीर कर या काटकर अनावश्यक या खराब तंतु को काटकर निकाल देता है तथा शरीर के उसी हिस्से में स्थित अन्य तंतुओं को किसी प्रकार की क्षति नहीं
पहुँचती है | इसी सूत्र को लेकर सैन्य कार्रवाई को सर्जिकल स्ट्राइक का
नाम दिया गया | इसे यदि कुछ और परिस्कृत करें तो हम पाएंगे कि इस प्रकार
की युद्ध शैली छापामार युद्ध या गोरिल्ला वारफेयर का ही एक रूप है। गुरिल्ला वारफेयर या छापामार युद्ध कौशल भी एक प्रकार का युद्ध कौशल है जिसमें हमलावर ऐसे समय में हमला करता है जब लक्ष्य असावधान | सबसे पहला
छापामार युद्ध 360 वर्ष ईसवी पूर्व चीन में सम्राट् हुआंग से अपने शत्रु
सी याओ (Tse yao) के विरुद्ध लड़ा था। इसमें सी याओ (Tse yao) हार गया। इंग्लैड के इतिहास में भी छापामार युद्ध का वर्णन मिलता है। केरेक्टकर
(Caractacur) ने दक्षिणी वेल्स के गढ़ से छापामार युद्ध में रोमन सेना को
परेशान किया था। भारत में छापामार युद्ध का सर्वप्रथम प्रयोग महाराणा
प्रताप ने अकबर के विरूद्ध किया था। बाद में उनसे प्रेरित होकर छत्रपति
शिवाजी महाराज ने मलेंछो के खिलाफ इसका प्रयोग किया।मराठो के इन छापामार युद्धों ने शक्तिशाली मुगल सेना का आत्मविश्वास नष्ट कर दिया। शंताजी घोरपड़े और धनाजी जाधव नाम के सरदारों ने अपने भ्रमणशाली दस्तों को इसमे महारत हासिल थी। जब मुगल सेना आक्रमण की आशा नहीं करती थी, उस समय आक्रमण करके उन्होंने प्रमुख मुगल सरदारों को विस्मित और पराजित किया। मराठों की सफल छापामार युद्धनीति ने मुगल सेना के साधनों को ध्वस्त कर दिया और उनके अनुशासन और उत्साह को ऐसा नष्ट कर दिया कि सन् 1706 ई. में औरंगजेब को अपनी उत्तम सेना को अहमदनगर वापस बुलाना पड़ा। छापामार मराठे अपने घोडो पर सवार होकर
चारों ओर फैल जाते, प्रदाय रोक लेते, अंगरक्षकों के कार्य में बाधा डालते
और ऐसे स्थान पर पहुँचकर, जहाँ उनके पहुँचने की सबसे कम आशा होती, हमला देते। इस युद्धनीति ने मुगलों की कमर तोड़ दी, उनके साधनों को नष्ट कर दिया इनकी फुर्ती के कारण मुगल सेना इनको पकड़ न सकी। इसी लिए स्पेन के छापामारों ने प्रायद्वीपीय युद्ध में और रूस के अनियमित सैनिकों ने मास्को के युद्ध में नैपोलियन की नाक में,दम कर दिया। अमरीकी क्रांति में कर्नल जान एस. मोसली इत्यादि प्रमुख छापामार थे। इस क्रांति में छापामार युद्धों ने एक नई दिशा ली। अब तक युद्ध राज्यों द्वारा लड़े जाते थे। किंतु अब यह राष्ट्रीय विषय बन गया और नागरिक भी व्यक्तिगत रूप से इसमें सम्मिलित हो गए।
समय के साथ ही युद्धकौशल में भी परिवर्तन होता जा रहा है | किसी जमाने
में तीर- कमान से होने वाले युद्ध आज अंतरिक्ष युद्ध के रूप में बदलते जा
रहे हैं | अब जब साजो-सामान,अस्त्र- शस्त्र आदि बदल रहे हैं तो युद्ध
शैली का बदलना स्वाभाविक है |
सर्जिकल स्ट्राइक का प्रारूप :- किसी भी युद्ध में युद्धस्थल में जाने के
पूर्व कई प्रकार से तैयारी करनी आवश्यक होती है | इन तैयारियों में सबसे
पहली तैयारी होती है संभावित लक्ष्य की गतिविधियों सहित उसके बारे में
सम्पूर्ण ताजातरीन जानकारी रखना | दूसरे और सबसे महत्वपूर्ण तैयारी का
हिस्सा है सही दल का चयन | लक्ष्य की शक्ति एवं कमजोरियों का आंकलन
करते हुए उसे धराशायी करने के लिए समुचित संख्या में तथा सर्वथा उपयुक्त
दल का चयन अत्यावश्यक है | इस प्रकार के अभियान में शामिल होने वाले
लोगों को इस हद तक प्रेरित किया जाता है कि वे अपने लक्ष्य के निर्मूलन
के अतिरिक्त अन्य बातों की और ध्यान न दें | तीसरा है उस चयनित दल को
सही प्रशिक्षण देना |चौथा तथा सबसे महत्वपूर्ण है अभियान की गुप्त रूप से तैयारी,अभियान को गुप्त रखना और हर गतिविधि में दल के सदस्यों के बीच सही तालमेल और फिर समयबद्धता | इन समस्त तैयारियों के पश्चात अभियान की सफलता के बाद नियत समय में पूरे सदस्यों के साथ सही सलामत अपने क्षेत्र में वापस आना बहुत बड़ी जिमेदारी होती है |
सर्जिकल स्ट्राइक का क्षेत्र : सर्जिकल स्ट्राइक हमेशा ऐसे स्थानों पर की
जाती है जहाँ व्यावहारिक या वैधानिक अड़चनों के कारण सीधे सैन्य कार्रवाई
करने में अड़चन हो | अमूमन ऐसी स्थिति तब आती है जब एक देश का भगोड़ा
आतंकवादी किसी दूसरे देश की सीमा में या उसके संरक्षण में रह रहा हो |
जैसे ओसामा बिन लादेन आदि जैसे लोग किसी अन्य देश की सीमा में थे जहाँ
सीधे सैनिक कार्रवाई से संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा बनाये नियमों का
उल्लंघन होता तथा इसमें अधिक जन , बल और धन खर्च होता | और फिर अभियान गुप्त न रह पाता तथा लक्ष्य को और भी सुरक्षित स्थान में छिप जाने का भय बना रहता है | चाहे इजराइल हो, अमेरिका, रूस या भारत, हर देश अपने घर के दुश्मनों को जड़ से मिटाने के लिए इस प्रकार के अभियानों के लिए अलग से ही उपाय किये रहते हैं |
सर्जिकल स्ट्राइक के खतरे : ऐसा नहीं है कि सर्जिकल स्ट्राइक से केवल
लक्ष्य को ही ख़तरा रहता है | सर्जिकल स्ट्राइक करने वाले देश पर भी ख़तरा
रहता है | सबसे बड़ा ख़तरा तो यही होता है कि अभियान दल का कोई सदस्य यदि किसी वजह से उस देश से वापस न आ सका तो यह एक अंतर्राष्ट्रीय नियमों के उल्लंघन का मुद्दा बन सकता है जिसके कारण युद्ध,संयुक्त राष्ट्र संघ के सख्त नियमों का कोपभाजन बनने का खतरा रहता है |
सबकुछ होते हुए भी, सर्जिकल स्ट्राइक एकमात्र ऐसा उपाय है जिसके प्रयोग
से दुसरे देश में छुपा हुआ दुश्मन या आतंकवादी ख़त्म करने की परम्परा
राष्ट्रहित में एक अच्छी चलन है और इस प्रकार के चलन का हर देशभक्त
नागरिक स्वागत ही करेगा |
(इस आलेख का कुछ अंश विकिपीडिया से भी लिया गया है)
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