शुक्रवार, 27 मार्च 2020

लॉकडाउन कवि सम्मेलन

लॉकडाउन कवि सम्मेलन- कोरोना के कहर से पूरा विश्व लॉक डाउन में हैं । सभी अपने घरों में बंद हैं । इस बंदी में मस्तिष्क को तरोताजा रखने के लिए नवोदित कवियों की रचनाओं का संकलन कर यह लॉकडाउन कवि सम्मेलन का सत्र प्रारंभ किया जा रहा है । इसमें शामिल होने के लिए अपनी रचनाएँ samvadm@gmail.com पर टंकित कर वर्ड फॉर्मेट में यथाशीघ्र  भेजें । 



बबलू कुमार राजभर की कलम से 

यूं तो संसार आज कोरोना से क्रुद्ध है 
ज्यों छिड़ा तृतीय विश्वयुद्ध है 
पर मेरे धड़कनों में खौफ नहीं तेरा 
क्योंकि 
मेरे पास साबुन और मास्क शुद्ध है 
गर छुआ मुझे तो तू ! जल जाएगा
क्योंकि साँससोन में आग लिए 
बाबलू बारूद है । 



कोरोना
दीपा गुप्ता की कलम से 

है सिर्फ तीन शब्दों का कोरोना
आकार मे चिटि से भी छोटा
  पर करता है काम 
परमाणु बम से भी खतरनाक
है सभी को समझना जरूरी
नहीं है ये कोई मामूली मुद्दा
बचाना है अपनी खूबसूरत  दुनिया को
पर नहीं है इससे डरना  घबराना
ठीक नहीं यह समय किसी  भी मतभेद का
जरूरी है लड़ना अभी  कोरोना से
रखना होगा थोड़ी सतकर्ता धैर्य थोड़ा
भगाने इस महामारी को
तब दिखेगा रेड सिग्नल कोरोना को
फिर लगेगा खुशियों का मैल ।
                           - दीपा गुप्ता


पूजा की कलम से 

संकट 
ना जाने कौन था वो 
ना जाने कौन था वो 
जो आया जिंदगी में हमारे
 तोड़ने हमारे सपनों को 
मोड़ने हमारे मंजिलों को,
डरे हम,सहमे हम 
पर कहीं रुके नहीं हम 
यह तो फितरत है हमारी 
ना डरेंगे,ना रुकेंगे 
ना हारेंगे कभी 
क्योंकि .. 
सपनों की उड़ान 
बाकी  है अभी 
मंजिलों की तलाश 
बाकी है अभी 
कुछ कदम डगमगा रहे हैं 
जिन्हें सम्हालना-सवाँरना 
बाकी है अभी 
संकटों को मिटाना 
बाकी है अभी,
उसका अस्तित्व मिटाना 
बाकी है अभी ।। 


फ़िरदौस की कलम से 

तुम 

एक प्यारा सा ख्वाब हो तुम 
एक मधुर एहसास हो तुम 
छू जाए मन को 
एक ऐसा ख्याल हो तुम । 
तुम ही कहो 
ये कैसा सवाल हो तुम .. .. ??


कलम से लिख दूँ तो कविता हो,
आँखों से पढ़ दो तो गीत हो,
स्पर्श करूँ तो जैसे बारिश की बूंद,
कभी सुबह की धुंध,
तो कभी रात की चाँदनी,
यथार्थ में हो भी 
या कल्पनाशील जाल हो तुम ,
तुम ही कहो 
ये कैसा सवाल हो तुम .. .. ??


दुआ करूँ तो इबादत हो 
मन्नत मांगु तो चाहत हो,
उदासी भी मेरी तुम ही हो 
तुम ही मेरी शरारत हो । 
दिमाग का भ्रम हो या दिल का हाल हो तुम 
तुम ही कहो 
ये कैसा सवाल हो तुम .. .. ??

दिल के आशियाने में 
आए हो मेहमान की तरह
लबों पर सजते हो मुस्कान की तरह । 
खुदा कहूँ तुम्हें 
या तो हाफ खुदा का नायाब हो तुम,
तुम ही कहो 
सवाल हो या 
खुद जवाब हो तुम .. ??


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