कृषि हमारी अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख क्षेत्र है और फसली ऋण, कृषि उत्पादन को बढ़ाने, टिकाऊ और लाभदायक, खेती प्रणाली को विकसति करने में सहायक है। प्रदेश में लघु एवं सीमान्त श्रेणी के कृषक परिवारों की संख्या 92.5 प्रतिशत है जिसमें सीमान्त श्रेणी के 79.5 प्रतिशत एवं लघु श्रेणी के 13.0 प्रतिशत कृषि परिवार है। सीमान्त श्रेणी के 79.5 प्रतिशत कृषकों में से 73.2 प्रतिशत कृषक ऐसे हैं जिनकी जोत 0.5 हे० से कम है और उनकी औसत जोत 0.27 हे० है। पर्याप्त जोत के अभाव में उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं होती कि वह नई तकनीकि को अपनाकर वैज्ञानिक ढ़ंग से खेती कर सकें। व्यवसायिक बैंकों के माध्यम से कृषकों को मुख्यतया लघु एवं सीमान्त श्रेणी के कृषकों को समय से, कम ब्याज पर और पर्याप्त फसली ऋण की उपलब्धता न केवल उनकी फसलों की उत्पादकता बढ़ाने में सहायक है बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत करने, सम्पत्तियों के निमार्ण में और खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने में सहायक है। इस कारण प्रदेश/भारत सरकार की प्रमुख अभिरूचि है कि अधिक से अधिक बैंकिंग प्रणाली से जुड़े और अपनी स्थिति को बेहतर बनाने में व्यवसायिक बैंकों से प्राप्त फसली ऋण का उपयोग करें।
प्रदेश शासन ‘‘उत्तर प्रदेश कृषि नीति, 2013’’ जारी करते हुए प्रदेश को देश के खाद्यान्न भण्डार के रूप में परिवर्तित कर खाद्य एवं पोषक तत्व सुरक्षा तथा ग्रामीण जीवन में गुणात्मक सुधार कर ग्रामीण जीवन जन-मानस की बिना पर्यावरणीय क्षरण के आर्थिक वृद्धि एवं खुशहाली को सुनिश्चित करने की परिकल्पना को पूर्ण करते हुए कृषि क्षेत्र में 5.1 प्रतिशत विकास दर प्राप्त करने को संकल्पिक है।
इसके लिए कृषि निवेशों को आसानी से कृषकों को उपलब्ध कराने हेतु आवश्यक प्रबन्ध करने तथा कृषि निवेशों में कृषि ऋण की बढ़ती उपयोगिता के कारण प्रदेश के समस्त पात्र कृषकों को किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से कृषि ऋण उपलब्ध कराने एवं किसान क्रेडिट कार्ड के अधिक से अधिक उपयोग हेतु प्रदेश शासन द्वारा अपने कृषि नीति में विशेष बल दिया गया है।
किसान क्रेडिट कार्ड योजना की समीक्षा करने और के०सी०सी० योजना को स्मार्टकार्ड सह-डेविट कार्ड बनाने के लिए भारत सरकार, वित्त मन्त्रालय, वित्तीय सेवायें विभाग द्वारा गठित कार्यदल की रिपोर्ट और संस्तुतियॉ भारत सरकार द्वारा स्वीकार कर ली गयी है, भारत सरकार द्वारा स्वीकार की गयी संस्तुतियों के आधार पर बैंकों को परिचालनात्मक मार्ग-निर्देश जारी किये गये हैं, मार्ग-निर्देशों की मुख्य बातों में निम्नलिखित शामिल हैं:-
फसली ऋण घटक का ऑकलन
- फसल के लिए वित्तमान + बीमा किस्त × फसली क्षेत्र की सीमा + फसल कटाई के बाद/घरेलू/उपयोग आवश्यकताओं के लिए ऋण सीमा का 10 प्रतिशत + फार्म असेट रख-रखाव खर्चों के लिए 20 प्रतिशत के आधार पर किया जायेगा।
- सीमान्त कृषकों के लिए निर्धारित सामान्य आँकलन के साथ फ्लैक्सी किसान क्रेडिट कार्ड।
- किसान क्रेडिट कार्ड की वैधता 05 वर्ष।
- फसली ऋणों के लिए अलग से मार्जिन पर जोर देने की आवश्यकता नहीं, क्योकि मार्जिन वित्तमान में शामिल है।
- खात से कोई आहरण 12 माह से अधिक समय के लिए बकाया नहीं रहेगा, किसी भी समय खाते में नामे राशि को शून्य करने की आवश्यकता नहीं।
- समय से भुगतान के लिए ब्याज सहायता/प्रोत्साहन भारत सरकार तथा/अथवा राज्य सरकार के मानदण्डों के अनुसार उपलब्ध होगा।
- रू० 3.0 लाख की सीमा तक प्रोसेसिंग फीस नहीं।
- पहली बार आहरण करते समय एकमुश्त प्रलेखन और इसके बाद किसान द्वारा सामान्य घोषणा (उगाई गई/प्रस्तावित फसलों के सम्बन्ध में)।
किसान क्रेडिट कार्ड के लाभ
प्रदेश में कार्यरत व्यवसायिक, ग्रामीण एवं सहकारी बैंकों के माध्यम से किसान के्रडिट कार्ड द्वारा कृषकों को पर्याप्त एवं समय से फसली ऋण उपलब्ध कराना शासन का उद्देश्य है, जिससे कृषक अपनी खेती एवं खेती सम्बन्धी अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति करते हुए कृषि विकास में अपना योगदान दे सके। किसान क्रेडिट कार्ड से निम्न लाभ है
- अल्प अवधि में फसली ऋण के आवश्यकता की पूर्ति।
- कटाई उपरान्त खर्च का वहन।
- बाजार ऋण की अदायगी।
- कठिनाई के दिनों में परिवार की आवश्यकताओं की पूर्ति।
- कृषि सम्बन्धी उपकरण की मरम्मत।
- कृषि सम्बन्धी अन्य कार्यों में आवश्यक खर्चे का वहन।
- कृषक दुर्घटना बीमा योजना से आच्छादन।
- कृषि ऋण के समय से अदायगी पर प्रदेश/भारत सरकार द्वारा घोषित ब्याज दरों में कटौती का लाभ।
- किसान क्रेडिट कार्ड से फसल बीमा योजनाओं, प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना एवं पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा के अन्तर्गत अधिसूचित फसलों के लिए, लिये गये फसली ऋण अनिवार्य आधार पर कवर।