(किसान अपनी पत्नी से बरसात में भीगने का अनुग्रह करता है) -- रचनाकार ज्ञानेंद्र पाण्डेय
मावा मिठाई म कहाँ मजा बा जौनु मजा गुड़धानी मा ।
आवा हे गोरिया हम तू नहाई जैसेन मछरिया पानी मा ।।
भादौ अंधियारी घिरीं कारी रे बदरिया
भईं भयभीति गोरी उठै ना नजरिया
उमड़ि-घुमड़ि घनु रिमझिम रिमझिम
रसु कै फुहारु भिजावलु
डगरिया
लखि-लखि दिनवाँ म चाँदु सा मुखौटा चकई परै हैरानी मा ।। आवा हो-----
टपु-टपु चुवै ल ओसरवा ते पनियाँ
छमु-छमु बाजै जैसे गोरी कै पैजनियाँ
झूमि-झूमि बंसवा बीनु बजाबतु
लहरि-लहरि लहरायि थ नगिनियाँ
उड़ि-उड़ि बदरा कारे-कारे बदरा मिलि-मिलि जातु सिवानी मा ।। आवा हे-------
गुड़गुड़- गुड़गुड़ हुक्का बोलै पतही तमाकू
बैठिके ओसरवा मा खांसि रहे काकू
रिनीझिनी-रिनीझिनी बुनियाँ परतु देखि
मारि किलकारी दौरै अँगना मा लाखू
साँझि-सकारे होतु भिनिसारे खैलरि बजै मथानी मा ।। आवा हे----
रोटिया चटनियाँ लैके रजरनिया आवै करहिया की ओरि
पिउ आ पिउ आ रटिकै पपीहरा मचावै अमरैइया मा शोर
लरकि-लरकि तन बहकि-बहकि मन
लखि-लखि बगिया किलोर
सुनि-सुनि रोपनी गावै जबु बुधनी अरे सगिरौ मजा किसानी मा ।। आवा हे----
मावा मिठाई म कहाँ मजा बा जौनु मजा गुड़धानी मा ।
आवा हे गोरिया हम तू नहाई जैसेन मछरिया पानी मा ।।
ज्ञानेन्द्र पाण्डेय "अवधी-मधुरस" अमेठी
8707689016
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