मंगलवार, 30 मई 2023

मावा मिठाई म कहाँ मजा बा जौनु मजा गुड़धानी मा ।

 (किसान अपनी पत्नी से बरसात में भीगने का अनुग्रह करता है) -- रचनाकार ज्ञानेंद्र पाण्डेय


मावा मिठाई म कहाँ मजा बा जौनु मजा गुड़धानी मा ।

आवा हे गोरिया हम तू नहाई जैसेन मछरिया पानी मा ।।


भादौ अंधियारी घिरीं कारी रे बदरिया

भईं भयभीति गोरी उठै ना नजरिया

उमड़ि-घुमड़ि घनु रिमझिम रिमझिम

रसु कै फुहारु भिजावलु


डगरिया

लखि-लखि दिनवाँ म चाँदु सा मुखौटा चकई परै हैरानी मा ।। आवा हो-----


टपु-टपु चुवै ल ओसरवा ते पनियाँ

छमु-छमु बाजै जैसे गोरी कै पैजनियाँ 

झूमि-झूमि बंसवा बीनु बजाबतु 

लहरि-लहरि लहरायि थ नगिनियाँ

उड़ि-उड़ि बदरा कारे-कारे बदरा मिलि-मिलि जातु सिवानी मा ।। आवा हे-------


गुड़गुड़- गुड़गुड़ हुक्का बोलै पतही तमाकू

बैठिके ओसरवा मा खांसि रहे काकू 

रिनीझिनी-रिनीझिनी बुनियाँ परतु देखि 

मारि किलकारी दौरै अँगना मा लाखू 

साँझि-सकारे होतु भिनिसारे खैलरि बजै मथानी मा ।। आवा हे----

रोटिया चटनियाँ लैके रजरनिया आवै करहिया की ओरि

पिउ आ पिउ आ रटिकै पपीहरा मचावै अमरैइया मा शोर 

लरकि-लरकि तन बहकि-बहकि मन 

लखि-लखि बगिया किलोर 

सुनि-सुनि रोपनी गावै जबु बुधनी अरे सगिरौ मजा किसानी मा ।। आवा हे----


मावा मिठाई म कहाँ मजा बा जौनु मजा गुड़धानी मा ।

आवा हे गोरिया हम तू नहाई जैसेन मछरिया पानी मा ।।


                 ज्ञानेन्द्र पाण्डेय "अवधी-मधुरस" अमेठी

                                8707689016

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

आपकी टिप्पणी के लिये आभार।हम शीघ्र ही आपसे जुड़ेंगे।