पूरा सौराष्ट्र नाईं तउ आधा सूरत
मा ज़रूर बसा हइ।पहिले बस औ ट्रेन ते या जात्रा पूरी होति रहइ।अब जल औरु हवा मारगु खुलिगा हइ।बस औ ट्रेन तेने जौनि दूरी नौ घंटा केरि हइ वा जल ते चारि औ हवाई मारग ते आधा घंटा केरि हइ।लेकिन हवाई जात्री कम निकरति हैं।सौराष्ट्र क्यार मजूर तबका सूरत मा ज़्यादा रहति हइ।अउ ऊ खाली परब त्योहारे आवति जाति हइ।यहि ते हवाई मारग केरि सूरत भावनगर जात्रा सिंगल इंजन वाले छोटके हवाई जहाज ते होति हइ।या यहू तना समझा जाय सकति हइ कि ऊ एक्कै फेफड़ा औ एक्के किडनी ते आसमान मा उड़ति हइ। यहि ते यू ज़िंदगी केरे साथे खतरनाक मज़ाक तना लागति हइ।पहुँचिगे तौ पहुँचिगे नाईं तउ राम नाम सत्य सिद्ध धरा जानौ।खैर!अबहीं तक भवा अस कुछु नाई।
सूरत औ भावनगर के बीच सबते पहिले सड़क मारगु फिर हवाई यहिके बादि जलमारगु चालू भा।हवाई मारग वाला एकु बड़ा मज़ेदार खिस्सा हइ जीका हम सबते साझा करबु ज़रूरी जानिति हइ।ऊ खिस्सा मोरारी बापू ते जुड़ा हइ।हियैं केरे 'महुआ' कस्बा केरि रहवैया आयं मोरारी बापू।उइ जब सूरत जाति रहइं तउ ईका उपयोगु करति रहैं।याक दांव मुरारी बापू हवाई मारग ते सूरत का प्रवचन देइ जवैया रहैं।सिंगल इंजन क्यार नौ सवारी वाला हवाई जहाजु उनका औ उनके गवनिहा बजनिहन का बइठाइ तउ लिहिसि लेकिन टेक ओवर करति बेरिया अपन थूथुन उठाइ क खुदहें क धम्म तेनी तरे पटकि लिहिसि।सुना कि बापू वहि ते डेराय गे।यहि के कारन भक्तन केरी कारन ते सूरत गे।बादि मा सब भक्त ल्वाग बतावति रहैं कि मुरारी बापू न होती तउ हादसा होइकइ रहति।जेहि बित हनुमान भगवान राम केरे आगे-आगे चलति हइं वहे बित मोरारी बापू के आगे-आगे राम।यहि ते बचिगे उइ।
हवाई जात्रा बिच्चा मा छाँड़ि क जल मार्ग पर लौटी न तउ देरी होइ जाई।हाँ तउ आजु केरी बीच जात्रा मा मनु भवा कि अवधी मा जात्रा पर कुछु लिखा जाय।यहि तन का लेखन अवधी मा एकु तउ पढ़इ क न मिला दोसरे जउ कहूँ अँतरी कोलिया मा होबौ करी तउ कम होई।
जहाजु छूटे लगभग एकु घंटा होइगा रहै।अचानक सब ग्याट खुले तउ ऊका मतलबु रहइ कि अब बाहेर जवैया बाहेर जाय सकति हइं।सब वहे तना भर्र मारि क बाहेर निकरि परे जैसन ढेला मारे पर बर्र के झुंड।हमहूँ वहे मइकी याक बर्र तना सबके साथ बाहेर निकरि परेन।बहुति जने जी पहिले जहाज केरी छाती पर लदे रहइं अब ऊके मूड़े पर चढिगे।उनहेन केरे साथे हमहूँ मूडे परि चढि गएन।पहिले खइंचा भरि फोटू खइंचा औ दन्न-दन्न उनका पठएन जी गाँव ते बाहेर कम निकरति हइं।ई जात्रा बखान मा सबते पहिले फूटुन क्यार सीरसकु लिखेन 'एक समुद्री यात्रा।' उइका दुइ तीन दांव पढ़ेन।मनु अस खुस भवा जइसे कोलंबस औरु वास्कोडिगामा का उनकी औकात बतावे निकरे होई।बादि मा सोचेन कि जात्रा केरे बखान मा रस्ता केरी बातइ बताई जाती हइं।गल्ली मा मिलै वालेन क्यार चरित्र चितरनु कीन जाति हइ।रस्ता केरी परेसानी औरु सुबिधा बताई जाती हइं।रस्ते केरि होटेल-मोटेल औ उनके ब्यंजन बताए जाति हैं।ईमा का बताई।यकलौती कैंटीन औ वहू मा पिज्जा- बर्गर, स्लाइस, चाय, कॉफी, ठण्डा,कट लेट या फिंगर चिप्स बस।उप्पर कैप्टनु तउ देखान लेकिन ऊका मूँ नाई देखि पावा।ज़्यादा मलाल यहि ते नाई भवा कि ऊ मर्दु रहइ अगर कहूँ कैप्टन औरत होति औ न देखि पाइति तउ जिउ करोन्छि क रहि जाइति।सब जगा मर्दै मर्द।ईमा सामान लदुवावे वाले मर्द।उतरवावे वाले मर्द। क्रू मेंबर उइ मर्द।कैंटीन मा चाय बनावै वाला मर्दु।ऊका सर्ब करै वाला मर्दु। कहूँ इंडिगो वाले मिलती तउ समझाइत कि जब उड़ानै बंद हइं तउ ऊके क्रू मेंबर ईमा काहे नाहीं लइ लेति हऊ।कुछु न करतिउ कम ते कम बिलु बनावे के बदे तउ याक आधी जुबती तउ भरती कएन लेतिउ।
अबकी कुछ जने कहिनि कि भइया जहाज केरि फोटू भेजेउ ।वहइ फर्ज़ु निभाय रहे हन।फोटू खींचा तउ मनु किहिसि कि जातरउ क बारे मा तनी मनी कुछु लिखी ।
या जात्रा बड़ी नीकि रही।खाली मसाला चाह पीन तउ ऊके जाइका क बारे म का लिखी बस यू कहा जाइ सकति हइ कि ऊका कउनउ चाह कहे ते मना नाय कइ सकति हइ। बरम बाबा क कसम सच्ची मानउ कउनिउ तना ऊका भित्तर ढक्याला।
बाहेर निकरेन तउ बड़ा नीक दृस्य देखान।चारिउ वार पानेन पानी।आगे पानी। पाछे पानी।पानिक उप्पर पानी ।पानी क खाले पानी।पानिक भित्तर पानी।पानिम पानी। अत्ता पानी कि लागै कि दुनिया पानी पानी है।पहिले देखिति सुनिति रहइ कि गहिर पानी नीला होति रहइ लेकिन यू पानी तउ मटिहरु हइ।अब जीका करेजु मथा जाई तौ मनु मैल तौ होइबै करी।लहर उठिउठि गिरि रही हइ ।अइस लागति हइ कि गुस्सा क मारे समुद्र देउता काँपि रहे हइं।पहिलेउ राकस औ देवतन के मथे पर यहे तना समुद्र काँपा होई।ऊमा तउ कुछुइ देउता औ राकस सामिल रहे।हियाँ तौ हज़ारन मनई ईमा सामिल हइ।
ई लहरन पर सोचिति रहइ कि एकु पंछी जहाज क पाछे उड़ति देखान।ऊ जहाज केरी पूँछि तक आवै तकै फिरि पाछे लौटि जाय।हमका लाग कि यू रस्ता भटक गा है।अरबु सागरु अत्ता बड़ा औ ईके पखना अत्ते छोटि- छोटि।हमका बड़ी दया लागइ हमका लागै कि यू ई जहाज पर बइठा चहति हइ।हमका यहउ लागइ यू डेराति हइ नाई तउ अब तक बैठि जाति।अब तक ऊ दसियों दांव उड़ि उड़ि आइ जाइ चुका रहइ।थोरी द्यार म ऊ पानी पर बैठि गा तउ हमका लाग कि अब यू पक्का बूड़ि जाई।ऊका फोटू खैंचि लीन।लेकिन यू का देखिति है कि ऊ फिरि उड़ा।एकु मनई हमरी बगल मा ठाढ़ रहइ। हमार दुखु ऊते द्याखा न गा तउ बताइसि कि ई जहाज के चले ते जौनु आलोड़न - बिलोड़न होति हइ ऊते मछरी ऊपर अउती हइं यू उनहेन का पकरति हइ।अब तक उइ याक जान ते तीनि होइगे रहैं।अब हमार जिउ हरियर होइगा कि सबते कठिन अक्याल परब होति हइ।कोई साथु देवइया न होति तउ समंदरउ छवाट लागति नाहीं तौ नालउ बड़ा लागति हइ।मनई न सही बानर भालू सही पर कोई साथु देवइया तौ रहइ रां क्यार।ई सब न होती अउ राम अकेले परि जाती तउ समंदर पर पुलु कबहूँ न बनति ।
पहिले जब रडार फडार न रहइं तउ ऊका कामु यहे पंछी करति रहइं। ई पंछी उड़ाइ क द्याखा जाति रहइ कि ज़मीन कहां पर हइ।जब दूर-दूर तक ज़मीन नाई देखाति रहइ तउ उइ पंछी जहाज पर लौटि आवति रहैं।वहे का यादि करति भए बाबा सूरदास लिखे हइं-'जइसे उड़ि जहाज कौ पंछी पुनि जहाज पै आवै।'कुछु यहउ बात हइ कि साथ क बदे जहाज पर पंछी राखे जाति रहइं।
हमउ जहाज केरि पंछी हन।पर उड़ि नाय पाइति हइ।काहे ते हमरे पैर हइं पर पर नाय हइं। यहिते जहाज पर लदे हन।उनके पर हैं।यहि ते केहू क उप्पर लदे न हइं।अपने बल पर एक्कै साथे समंदरउ मा हइं औ आसमानौ मा ।
हम का देखिति हइ कि उइ पंछी फिर ते उड़ि कइ जहाज क वार आइ रहे हइं।
जइसे उइ कहवइया होइँ लेकिन कहि न पाय रहे होयं-
" मेरो मन अनत कहाँ सुख पावै
जैसे उड़ि जहाज कौ पंछी पुनि जहाज पै आवै।"
@डॉ.गंगा प्रसाद शर्मा'गुणशेखर'
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