शुक्रवार, 6 अक्टूबर 2023

क्या है जन्म एवं मृत्यु का डिजिटल पंजीकरण? जानें पूरी प्रक्रिया...

 Content copied from News on Air Website.

भारत सरकार ने डिजिटल इंडिया के माध्यम से अनेक ऐसे क़दम उठाये हैं, जिनसे आम जनमानस का जीवन और उनकी जीवन-प्रक्रियाएं पहले से अधिक आसान और सुविधाजनक हो गयी हैं। उन्हीं में से एक महत्वपूर्ण कदम है डिजिटल पंजीकरण। डिजिटल पंजीकरण के माध्यम से लोग अब अपने जन्म एवं मृत्यु प्रमाण-पत्रों को डिजिटली सुरक्षित कर सकते हैं और जब चाहे जिस तरह से चाहे उसका अपने अनुसार उपयोग कर सकते हैं।


जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 में हुआ संशोधन

आपके बता दें, हाल ही के मानसून सत्र में जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण संशोधन अधिनियम, 2023 पारित किया गया। ये जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 का संशोधन है। यद्यपि यह केन्द्रीय अनुसूची का अधिनियम है, जिसे राज्य सरकारें भी लागू करती हैं। पिछले 50 वर्षों से अधिक समय से इस अधिनियम में किसी प्रकार का कोई भी संशोधन नहीं किया गया था। लेकिन अब इसे और सहज और सुगम बनाने के लिए केन्द्र सरकार ने इसमें पहली बार संशोधन किया है


ऑनलाइन आवेदन से आसान हुई प्रक्रिया

डिजिटल पंजीकरण के माध्यम से अब पहली बार जन्म एवं मृत्यु पत्र बनवाने के लिए न केवल ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे, बल्कि अब घर बैठे डिजिटल जन्म एवं मृत्यु प्रमाण-पत्र भी मिल सकेगा। इस संशोधित अधिनियम का दिलचस्प पहलू यह भी है, कि अब 1 अक्टूबर, 2023 के बाद जन्म लेने वाले सभी भारतीय बच्चों के जन्म प्रमाण-पत्र को इकलौते ऐसे दस्तावेज के तौर पर प्रयोग किया जाएगा, जिसके माध्यम से वह किसी भी शिक्षण संस्थान में प्रवेश लेने, केंद्र अथवा राज्य सरकार में नौकरी पाने, आधार कार्ड, वोटर कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस तथा विवाह पंजीकरण आदि में प्रयोग कर सकेगा।



यदि किसी बच्चे का जन्म प्रमाण-पत्र बनवाने में देरी हो जाती है, तो बाद के वर्षों में स्व-प्रमाणित दस्तावेजों के माध्यम से इस प्रक्रिया को आगे बढ़ा सकेगा, जबकि इससे पहले यह एक टेढ़ी और जटिल प्रक्रिया थी। आपदा और महामारी के दौरान मृत्यु प्रमाण-पत्र बनवाने के दौरान भी लोगों को दिक्कत होती थी। इस दिक्कत को भी नए संशोधन के साथ सरकार ने सुगम बनाया है। इसके लिए मृत्यु प्रमाण-पत्रों के पंजीयन को गति देने के लिए स्पेशल सब-रजिस्ट्रार को नियुक्त करने की व्यवस्था भी की गई है।


डिजिटल पंजीकरण का लाभ समझने के लिए आप फ़र्ज़ कीजिये, कि यदि लखनऊ के रहने वाले किसी व्यक्ति की चेन्नई में मृत्यु हो जाती है तो चेन्नई के रजिस्ट्रार के यहां पंजीयन हो जाने के बाद लखनऊ में ही घर बैठे-बैठे उस व्यक्ति का मृत्यु प्रमाण-पत्र मिल जायेगा। इसके लिए आपको बार-बार सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने की ज़रूरत से नहीं पड़ेगी।


चुनाव आयोग को भी मिलेगी मदद

दिलचस्प पहलू यह भी है, कि किसी की मृत्यु और जन्म का पंजीकरण का एक्सेस पहले से ही चुनाव आयोग को भी होगा अर्थात् चुनाव आयोग भी अपने दफ्तर में बैठे-बैठे अपने नए वोटरों और मृत्यु के बाद जो वोटर नहीं रह गए हैं, उसका डेटा प्राप्त कर लेगा। अतः इससे हमारी लोकतांत्रिक प्रक्रिया को भी काफी हद तक सहायता मिलेगी।


यह ऑनलाइन प्रक्रिया है निशुल्क

डिजिटल पंजीकरण के माध्यम से हमारी आंतरिक सुरक्षा के मुद्दे भी पहले से अधिक मजबूत हो सकेंगे। शुक्ल की बात करें, तो पहली बार जन्म एवं मृत्यु प्रमाण-पत्र बनवाने में सरकार की ओर से कोई भी शुल्क नहीं लिया जायेगा। लेकिन यदि आप दोबारा उसी व्यक्ति का जन्म अथवा मृत्यु प्रमाण-पत्र बनवाते हैं, तो उसके लिए कुछ मामूली शुल्क आवेदक को अवश्य देना होगा।

आधार कार्ड और जन्म प्रमाण-पत्र में अंतर

एक बात और समझने वाली है, कि प्रायः लोगों को लगता है, कि उनके बच्चे का आधार-कार्ड बना हुआ है, तो उन्हें जन्म प्रमाण-पत्र बनवाने की जरूरत नहीं है। जबकि आधार कार्ड और जन्म प्रमाण-पत्र दोनों बिल्कुल अलग- अलग चीज है। जन्म प्रमाण-पत्र एक कानूनी दस्तावेज है जबकि आधार कार्ड व्यक्ति का पहचान-पत्र मात्र है।

जानें कैसे करें आवेदन

घर पर पैदा हुए बच्चों का जन्म प्रमाण-पत्र बनवाने के लिए आवेदक को बच्चे के जन्म के 21 दिनों के भीतर आवेदक के पहचान-पत्र और निवास प्रमाण-पत्र के साथ सहजता से आवेदन हो जायेगा और आसानी से घर पर ही डिजिटल प्रमाण-पत्र प्राप्त हो जायेगा। यह पूरी तरह से निशुल्क प्रक्रिया है। हालांकि इसके बाद अधिक देर करने पर रजिस्ट्रार द्वारा सत्यापन के बाद ही बच्चे का जन्म प्रमाण-पत्र बन सकेगा। इसके अलावा यदि जन्म से एक वर्ष बाद आप जन्म प्रमाण-पत्र बनवाने जाते हैं, तो उप-जिलाधिकारी अथवा जिलाधिकारी से अनुमोदन प्राप्त करने के बाद ही जन्म प्रमाण-पत्र बन सकेगा।


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

आपकी टिप्पणी के लिये आभार।हम शीघ्र ही आपसे जुड़ेंगे।