मंगलवार, 10 फ़रवरी 2015

क्यों करें हम हिंदी में सरकारी काम ?



      निठल्ला बैठा था | खाली दिमाग शैतान का घर होता है सब जानते हैं | मेरा दिमाग भी खाली था सो शैतान आ बैठा और दिमाग की हलचल कुछ बातों के तरफ जाने लगी | मैंने सोचा भारत के संविधान में वर्णित राजभाषा के उपबंधों के अनुपालन में भारत सरकार ने केंद्र सरकार के अधीनस्थ समस्त कार्यालयों में हिंदी में सरकारी काम करने के लिए अनुदेश जारी किया है | इसके अलावा हिंदी के प्रचार एवं प्रसार के लिए काफी प्रयास भी जारी है परन्तु देखा गया है कि यह आशातीत सफलता प्राप्त नहीं कर पा रही है | कई ऐसे कारण हैं जिनमें मानवजनित कुछ अड़चनों की तरफ गया , उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं :-    
1. मुझे हिंदी ठीक से नहीं आती है :      इंसान पैदा होने के साथ ही दो भाषाएँ सीखना शुरू कर देता है | पहली है वह भाषा जो उसके माँ द्वारा अथवा हम कहें कि घर में बोली जाने वाली भाषा यानी कि 'मातृ भाषा' तथा दूसरी वह भाषा जो उसके घर के  बाहर अधिकांश लोगों द्वारा बोली जाती है जो उसके क्षेत्र की भाषा अथवा राज्य की भाषा हो सकती है | बाद में चलकर इंसान देश काल एवं प्रकृति के अनुसार अन्य भाषाएँ सीखता है एवं प्रयोग में लाता है | भारतवर्ष में सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त 22 भारतीय भाषाएँ है , इसके अलावा वर्ग के अनुसार अन्य कई भाषाएँ हैं | भारत ही नहीं विश्व भर के हर देश में मान्य भाषाओं के अलावा अलग अलग स्थानों पर लोगों की अपनी अलग भाषा हो सकती है | अमूमन लोग किसी अन्य भाषा में कुछ कहने अथवा व्यक्त करने से पहले मातृ भाषा में सोचते हैं , उनका उस कहे जाने वाली भाषा में अनुवाद करते हैं फिर शब्द अथवा वाक्य के रूप में उसे व्यक्त किया जाता है | यह प्रक्रिया मनुष्य का मस्तिष्क इतनी द्रुत गति से करता है कि इसका अनुभव नहीं हो पाता है | अब कुछ लोग इस बात से इत्तेफाक ना रखते हों , वैसे लोगों की संख्या अपेक्षाकृत कम ही है जो अपनी बात को धाराप्रवाह मातृभाषा के मदद के बिना ही अन्य भाषा में अपनी बात व्यक्त कर पाते हैं | सरकारी कार्यालय में काम करने वाले ऐसे लोगों का तबका बहुत ही कम है | अब यदि आपको कोई बात कहनी हो या लिखनी हो तो मेरे विचार से सबसे पहले मातृ भाषा में व्यक्त करना  अधिक आसान लगना चाहिए | अब जब आप अपनी बात अपनी मातृ भाषा में व्यक्त करने में सक्षम हैं तो फिर उसको हिन्दी स्वरुप में व्यक्त करने में ज्यादा आसानी होगी क्योंकि हिंदी में इस बात की पूरी छूट है कि जिन शब्दों का हिंदी अर्थ ना पता हो उन्हें आप अपनी मातृभाषा के शब्दों में देवनागरी में लिख सकते हैं , आपकी बात समझ ली जाएगी | अर्थ का अनर्थ कभी नहीं होगा पर  यदि आप  अंग्रेजी के प्रयोग में शब्दों से चूक गए फिर तो गुड़ गोबर हुआ ही समझिए | मुझे एक घटना याद है जिसमें कार्यालय के दो कर्मचारी थे , उनमें से एक अच्छा कार्यकर्ता था दूसरा एक नंबर का कामचोर | उनके वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट भरने की बारी आयी | जिस अधिकारी को यह रिपोर्ट भरना था वे अंग्रेजी  में थोड़े असहज थे | कार्यकुशल कार्मिक को परिश्रमी लिखना चाहते थे लिहाजा उन्होंने उसके सम्बन्ध में लिखा He works Hardly.| दूसरा कर्मचारी जो कामचोर था और अक्सर कार्यालय से बाहर रहता था उसके बारे में लिखना चाहते थे कि वह हमेशा बाहर ही रहता है पर लिख बैठे He is ourstanding worker. अब बताइये उन्होंने अन्य भाषा में अपनी विद्वता का परिचय देने के लिए एक कर्मठ कार्मिक के गोपनीय रिपोर्ट में कितनी अच्छी टिप्पणी दे डाली | अब ऐसी विद्वता किस काम की जिसके प्रदर्शन से किसी को कष्ट में डाला जाए | ऐसी कई घटनाएं होती है , जब आप किसी छोटी सी शब्द भूल से पूरे वाक्य के सन्देश को स्पष्ट नहीं कर पाते हैं | ऐसे मित्रों से मैं यही कहूँगा कि दिल पे हाथ रख के सोचिये कि आप किस रूप में सहज हैं | बस अहंकार एवं शर्म का त्याग करके एक बार प्रयोग करके तो देखिये , कितना सुकून मिलेगा |                       
2. यह मेरा काम नहीं है : कुछ लोग यह भी कहते हैं कि हिंदी में काम करने के लिए तो सरकार ने हिंदी अनुभाग या राजभाषा शाखा बना रखा है , फिर हम क्यों करें अपना का हिंदी में | ऐसे मित्र सही ही तो कहते हैं , हिंदी अनुभाग तो है ही हिंदी में काम करने के लिए और इस अनुभाग के लोग अपना काम कर भी रहे हैं | काम तो सभी अपना अपना कर ही रहे हैं | भारत के राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमन्त्री एवं संत्री एवं अन्य तबके के सरकारी कर्मचारी सभी अपना काम करते हैं | पर उस काम पर लगने (कार्यग्रहण) के समय सभी एक शपथ लेते हैं | शपथ लेने से पूर्व तक कोई भी अपने पद पर स्थापित नहीं माना जाता है | उस शपथ के कुछ अंशों में यह भी रहता है कि मैं भारत के संविधान में सच्ची निष्ठा रखूंगा एवं इसमें प्रदत्त समस्त नियमों का पालन करूंगा | इस प्रकार के शपथ के बाद ही आप पदासीन होते हैं | अब देखिये आपने शपथ ले लिया कि संविधान के नियमों का पालन करेंगे | संविधान के नियमों में अनुच्छेद 343 से लेकर 351 तक समस्त अनुच्छेद राजभाषा के सम्बन्ध में | इन अनुच्छेदों के प्रकाश में राजभाषा नियम इत्यादि बनाया गया है | अब एक तरफ तो आप शपथ लेकर कहते हैं कि संविधान में प्रदत्त समस्त नियमों का अनुपालन करूंगा दूसरे तरफ कहते हैं कि हिंदी में काम करना मेरी जिम्मेदारी नहीं है | मैं निवेदन करूंगा कि आप संविधान के इन अनुच्छेदों को एक बार अवश्य देख लीजिये | बस जरूरत है अपनी सोच बदलने की |
3. काम करना तो चाहता हूँ पर सहयोग नहीं मिलता : कई मित्र ऐसी बात भी कहते हैं कि मैं काम तो करना हूँ पर तकनीकि एवं अन्य सहायता नहीं मिलती | यह समस्या कई रूप में है | कुछ गौड़ भी है | इनमें पहली समस्या आती है हिंदी टंकण ना आना | इस समस्या के हल के लिए राजभाषा अनुभाग, भारत सरकार ने भारत की 22 भारतीय भाषाओं में काम करने के लिए  कम्प्यूटर  में यूनिकोड  के सक्रीय  करने का अनुदेश दिया है | यह कोई अलग सॉफ्टवेयर नहीं है बल्कि जब आप अपना कम्प्यूटर सक्रीय करते हैं उस समय इसमें लैंग्वेज ऑप्शन में एक बॉक्स टिक करना होता है जिसमें एशियन कंट्रीज की भाषाओं को एक्टिवेट करना होता है | बस इतना सा काम है | विशेष विवरण राजभाषा की साइट पर उपलब्ध है | आप अपने कार्यालय के IT. दल को यूनिकोड सक्रीय करने के लिए कहिये | माइक्रोसॉफ्ट हो या लिनक्स हो , हर ऑपरेटिंग सिस्टम में यह सक्रिय हो जाता है, और इसके लिए कोई अतिरिक्त खर्च करने की भी आवश्यकता नहीं है | इसके अलावा "गूगल बाबा(GOOGLE.com)” भी आपके सहयोग करने के लिए तैयार बैठे हैं | अन्य कार्यो में आप अपने सहकर्मी मित्रों एवं राजभाषा शाखा में मदद ले सकते हैं |
     मुझे लगता है कि इन तीन बातों के बाद हिंदी में काम ना करने का और कोई ठोस बहाना नहीं मिल सकता | बस कुछ कदम आप आगे बढ़ाएं , कारवां मिलता ही जाएगा |


विचार प्रस्तुति  श्री एनएसवीरानी, कार्यालय अधीक्षक , कर्मचारी राज्य बीमा निगम , सूरत 
     




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