नुक्कड़ पे बैठे चाय
की चुस्की लगा रहा था । चर्चा चल पड़ी वेतन
वृद्धि और वेतन आयोग की । मेरे एक मित्र जो दैवयोग से सरकारी कर्मचारी भी थे , बड़े दुखी
हो रहे थे । उनके व्यथा के अनुसार पता नही
इस वेतन आयोग में आशातीत वेतन की बढ़ोत्तरी मिलेगी भी या नही , बड़े शंसय की स्थिति है । गौर करने वाली बात तो है । चाय पे चर्चा चल पड़ी
। दूसरे मित्र के अनुसार इससे भी अधिक गौर करने वाली बात ये है कि क्या मंहगाई
सिर्फ सरकारी कर्मचारियों के लिए ही आती है या फिर प्राइवेट में काम करने वाले पर भी
मंहगाई की मार आती है । जिस अनुपात में सरकारी कर्मचारी मंहगाई भत्ता , वेतन बढ़ोत्तरी पाता है उस अनुपात में प्राइवेट वालों का वेतन बढ़ते हुए
कभी नही देखा गया है । अब जरा उनके द्वारा किए जाने वाले कामों की तुलना कर लिया
जाये । एक सरकारी कर्मचारी को जितना वेतन मिलता है , अधिकतर प्राइवेट
कंपनी में उतने ही वेतन में दो या कभी कभी तीन लोगों को काम करते हुए पाया जाता है
। और फिर प्राइवेट कंपनियों के कर्मचारियों को अधिकतर टार्गेट आधारित काम मिलते
हैं जिसे समय पर निपटाना आवश्यक होता है । नही किए तो वेतन वृद्धि तो भूल ही जाइए , नौकरी जाने का खतरा हमेशा बना ही रहता है । इसके उलट सरकारी कर्मचारियों
के कामों का अवलोकन किया जाये तो देखा जाता है कि अधिकतर बाबूजी समय पर कार्यालय
नही आते , अगर आ भी गए तो मूड बना तो फाइलों पर काम हुआ , नही तो फिर कभी । ना तो वेतन कटौती का खतरा ना ही तो नौकरी जाने का खतरा
। और यदि आवेदक दो एक चक्कर पूछ लिया तो साहब के नाराजगी का सामना अलग से करना
पड़ता है । हो सकता है कि इस अपराध के लिए आपकी फाइल कहीं खो जाये और फॉर लगते रहिए
चक्कर , खरीदते रहिए पैरागोन के मजबूत से मजबूत चप्पल, घिस भले ही जाये काम नही हो सकता । इसका एक उदाहरण और देखा गया । मेरे एक
मित्र जो सरकारी मुलाज़िम हैं वो किसी जटील रोग से ग्रस्त है । जिस शहर में तैनात
हैं वहाँ उनके इलाज की समुचित सुविधा ना होने के कारण उन्होने इलाज करवाने के लिए स्थानांतरण
के लिए अपने विभाग को आवेदन दिया । उन्होने इस आशा से आवेदन किया था कि नए शहर में
जाकर सही इलाज करवाकर वो पुनः स्वस्थ हो जाएँगे । आज उनके आवेदन के लगभग डेढ़ साल
से ऊपर हो गया किन्तु विभाग ने ना तो स्थानांतरण किया ना ही तो उनके आवेदन की
स्थिति के बारे में कोई जानकारी दिया । बेचारे इस इंतजार में बैठे हैं कि शायद कोई
दया हो जाए और उनका स्थानांतरण हो जाये तो वो अपना इलाज करवा पाएंगे । पर इंतजार
की घड़ियाँ लंबी होती जा रही है ,साथ ही बीमारी भी । ऐसा नही
है कि उनके विभाग में स्थानांतरण पर किसी प्रकार का बैन लगा है । उनके आवेदन के
बाद विभाग ने कई लोगो का स्थानांतरण दिया पर बेचारे मित्र का भाग्य उनका साथ नही
दे रहा है । कौन कितना काम करता है यह इन घटनाओं से स्पष्ट हो जाता है । वार्ता
में एक और मित्र आ टपके उन्होने हवाला दे डाला कि भाई साहब सरकारी दफ्तर में बिना
रिश्वत के काम नही होता है । हमारे उस मित्र ने रिश्वत नही दिया होगा इसलिए उनका
तबादला नही हो सका। हमने समझाया भाई साहब ऐसी बात नही है । सभी सरकारी मुलाज़िम
रिश्वत लेते हो जरूरी नही है । फिर रिश्वत तो महा पाप है । उन्होने फट बोला , भाई तुम सीधे के सीधे ही रह गए। अब खुद ही देख लीजिये कि आजकल भारत में लोकायुक्त
के छापों से एक से बढ़कर एक सरकारी कर्मचारी पकड़े जा रहे हैं और उनके घर से करोड़ों
के धनराशी बरामद हो रही है । इनके ऐश्वर्य को देखकर बड़े से बड़ा धन कुबेर शर्मा जाये । जैसे अल्लादीन का चिराग हासिल हो
गया हो और उसे घिस-घिस कर अमीर बन गए । मेरे मित्र पुन्नू भाई ने बड़े ही मासूमियत
से कहा, “भैया इसमें
गलत क्या है। जितने भी अफसर पकड़े गए है , काम तो करते ही रहे
होंगे । और फिर मेहनत बहुत किया होगा तभी तो बहुत पैसा कमाए”। पुन्नू भाई ने बात
तो सही कहा था । काम तो करते ही हैं , जिसने दक्षिणा दिया
उसकी फाइल आगे बढ़ी , उसपर काम हुआ , और
फिर काम के बदले मजदूरी तो बनती ही है । इसमें
भला बुरा क्या है । हमारी चर्चा में और भी कई मित्र शामिल हो गए । सरकारी मुलाज़िम , काम करवाने के लिए सुविधा शुल्क , आरोप प्रत्यारोप
की जैसे झड़ी चल पड़ी । हर मुख पर बस एक ही बात कि सरकारी कर्मचारी और उनका
महिमामंडन ।
चर्चा धीरे धीरे बहस
में बदल गई । मैं लाख बीच बचाव करता रहा , सफाई देता रहा पर कोई मानने को
तैयार नही कि सरकारी मुलाज़िम रिश्वतखोर नही हो सकता । मामला चाय की चुस्की से कही
और जाते देख चाय वाले ने टोका , ‘बाबूजी
आपकी चर्चाओं से कुछ हो या ना हो , मेरे दुकान टूट सकती है ।
मेहरबानी करो और अपने अपने घर जाओ । हाँ एक बात और , मैं उस
मित्र के लिए प्रार्थना करूंगा कि बिना रिश्वत दिये उस बीमार मित्र का स्थानांतरण
जल्दी से हो जाए जिससे उनको सही इलाज मिल सके । और हाँ उनका तबादला होते ही मुझे भी
खबर कीजिएगा । चलिये अब राह नापिए । जय राम जी की ।
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