शुक्रवार, 4 दिसंबर 2015













प्रियंका पाण्डेय,M.A, M.Phil

 वो जिए
  वो जिए
वो जीती है
और जिन्दा है
बनफूल की तरह |
उसे यकीन है
जिंदगी में ,
जैसे बच्चों का होता है ,
परीकथाओं में |
वो बुनती है
जिंदगी के गज्झिन सपने
जैसे माई बुनती थी
ठिठुरते रातों में स्वेटर
हमारे लिए |
हम मंगाते हैं मन्नतें
और प्रार्थनाएं करते हैं ,
उसके लिए
कि समय चाहे कैसा भी हो ,
वो बनी रहे,
उसके जीवन में सदा आनंद बना रहे ,
वो अपनी जिंदगी
अपने यकीन के साथ
जिन्दा रहे|   

            

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